Rashmika Mandanna Deepfake Video – वायरल वीडियो का क्या है सच?

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Rashmika Mandanna Deepfake Video

आप सब ने बॉलीवुड एक्टर रश्मिका मंदाना के डीप फेक वीडियो के बारे में जरूर सुना होगा. ये वीडियो सामने आने से सभी लोग सकते में हैं कि कैसे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से बनाया गया वीडियो किसी भी इंसान को पूरी तरह से तबाह कर सकता है।

Rashmika Mandanna Deepfake Viral Video

अभी कुछ दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ जिसमे रश्मिका मंदाना को एक काले रंग के स्विमसूट और एक शॉर्ट्स पहने हुए एक लिफ्ट में प्रवेश करते हुए दिखाया गया है.

‘Deepfake’ Video Showing Rashmika Mandanna

Rashmika Mandanna Deepfake Video नकली है या असली जाने यहाँ

एक नज़र में वीडियो देखने पर ये वीडियो आपको रश्मिका मंदाना का ही लगेगा। लेकिन जांच करने पर पता लगा की वीडियो में जो महिला दिखाई गयी है वो महिला रश्मिका नहीं है. जो महिला वीडियो में दिख रही है उसका नाम जारा पटेल है जो की एक ब्रिटिश भारतीय महिला है। उनके वीडियो का इस्तेमाल करके डीपफेक वीडियो बनाया गया जिसमे उस महिला के चहरे की जगह रश्मिका का चेहरा सेट किया गया था.

जारा पटेल का ओरिजिनल वीडियो हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं, जिसका उपयोग करके रश्मिका का डीपफेक वीडियो बनाया गया है.

डीपफेक वीडियो रिलीज़ होने के बाद से काफी चर्चा में हैं. बॉलीवुड हस्तियों और राजनेताओं ने इसपर अपनी चिंता जाहिर की है व सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। चलिए आज हम हमारी न्यूज़ के माध्यम से हम आपको बताएँगे कि कैसे डीपफेक वीडियो की पहचान करें और कैसे क़ानून की मदद लें।

असली और डुप्लिकेट/ Deepfake Video की पहचान कैसे करें?

हालाँकि आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के लगातार एडवांस होने के बाद से डीपफेक वीडियो की तकनीक भी दिन प्रति दिन विकसित हो रही है. ऐसे में ये पता करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है की वीडियो असली है या नकली। इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताएँगे जिनका उपयोग करके आप ये वीडियो की असलियत जान सकते हैं।

चेहरे का विश्लेषण करें – दिए गए वीडियो में ये देखें की फेस का हाव भाव कैसे है मतलब की ऑडियो और विडिओ सामन्तर चल रहा है या नहीं। आँखों और मुँह की हरकतों का अवलोकन करें। जरूर ही आप ये पाएंगे की वीडियो में दिखाए जाने वाले इंसान की लिप सिंक में, पालक झपकने में, आँखों के देखने के तरीकों में कुछ अजीब अनियमितताएं होंगी।

लाइटिंग, बैकग्राउंड और कलर की जाँच करें – डीपफेक वीडियो में ध्यान देने योग्य लाइटिंग, बैकग्राउंड और कलर आउटलाइन हो सकती है। ध्यान से देखने पर आपको वीडियो में लाइटिंग, बैकग्राउंड व कलर का सीधा अंतर पता चलेगा. क्योंकि AI के माध्यम से बनाये गए वीडियो कभी भी पूरी तरह से असली नहीं लग सकते हैं. वीडियो एनालाइज करने पर आप पाएंगे वीडियो के आसपास की लाइटिंग में या बैकग्राउंड में कुछ असमानता दिखेगी।

वीडियो के सोर्स को सत्यापित करें – सबसे पहले आपको मिले हुए वीडियो की विश्वसनीयता को जांचना होगा। जैसे की वीडियो कहाँ से मिला। क्या शेयर करने वाला सोशल मीडिया अकाउंट, वेबसाइट, न्यूज़ लीगल है. क्योंकि की डीपफेक वीडियो में ये अधिकांश होता है की इस तरह के वीडियो किसी फेक अकाउंट से शेयर होते हैं.

गूगल इमेज सर्च का उपयोग करें – जो वीडियो आपके पास है उस वीडियो में दिखाएँ जाने वाले इंसान की इमेज का स्क्रीनशॉट लें और गूगल इमेज के माध्यम से सर्च करें। यदि आपको ऑनलाइन और भी समान छवियां मिलती हैं तो इस वीडियो के फेक होने की संभावना हो सकती है.

विशेषज्ञ की सहायता लें: यदि आपको लगता है कि वीडियो डीपफेक है, तो वीडियो फोरेंसिक या वीडियो विशेषज्ञ से परामर्श करें। क्योंकि वीडियो की जांच करने के लिए उनके पास विशेष उपकरणों और तकनीकों की जानकारी हो सकती है।

ध्यान रखें कि डीपफेक वीडियो तकनीक लगातार आगे बढ़ रही है, और इस तरह के डीपफेक वीडियो का केवल मैन्युअल तरीकों से पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसी वजह से, इन फर्जी वीडियो की सटीक पहचान के लिए तकनीकों और उपकरणों के माध्यम से डीपफेक का पता लगा सकते हैं.

भारत में डीपफेक के खिलाफ क्या कानून है?

  1. प्राइवेसी कानून: प्राइवेसी कानून में किसी भी व्यक्ति की गोपनीयता का उल्लंघन करने के लिए आईटी अधिनियम 2000 की धारा 66D लागू होती है. इस कानून के तहत अपराधी को ३ साल तक की कैद या 2 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
  2. मानहानि: अगर डीपफेक वीडियो को फैलाकर किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचता है, तो जिस किसी ने भी वो वीडियो बनाया है आप उसके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर सकते हैं. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में मानहानि के प्रावधान (धारा 499 और 500) शामिल हैं.
  3. साइबर अपराध: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अनुसार डेटा चोरी और साइबरबुलिंग और जहाँ पर हैकिंग या डेटा चोरी जैसे अवैध तरीकों से डीपफेक वीडियो बनाये जाते हैं. पीड़ित इस कानून के तहत अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं.
  4. कॉपीराइट उल्लंघन: जब किसी की कॉपीराइट कंटेंट जैसे की फोटो या वीडियो का उपयोग निर्माता की सहमति के बिना होता है तो कॉपीराइट अधिनियम, 1957 लागू होता है. कॉपीराइट ओनर के पास ऐसे उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करने का कानूनी अधिकार है. जिससे की डीपफेक वीडियो को रोकने में मदद हो सकती है.
  5. उपभोक्ता संरक्षण कानून: अगर डीपफेक वीडियो के माध्यम से किसी को ब्लैकमेल किया जाता है, तो पीड़ित व्यक्ति उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 कानून से मदद पा सकते हैं.

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